"बुज़ुर्ग का मकान"

शीर्षक- बुज़ुर्ग का मकान_
शहर में बड़ा नाम है,शहर में बड़ा मकान है,जिनके नाम से ही जाना जाता पूरा खानदान है,
अब वो नहीं हैं जवां फ़िर भी,
 घर - खानदान की शान हैं
हां! ये उसी बुज़ुर्ग का मकान है।
        दूर- दूर फ़ैले चर्चें इनके , भाईचारे की मिसाल हैं,
मात्र नाम से ही हो जाता हर काम काम आसान है फिर क्यूं ये बुज़ुर्ग अकेला वीरान है,
मानों इनकी हरी - भरी बगिया अब महज़ ' आर्टिफिशियल बागवान ' है 
हां! ये उसी बुज़ुर्ग का मकान है।।
      शामिल किए जाते हैं वो सबसे पहले जहां 'ब्लैंक चेक ' का काम है
बातें भी हो जाती हैं देर रात तक अपनों से, जहां सिर्फ़ पैसों का काम है।
हां! ये उसी बुज़ुर्ग मकान है।
      उन्हें सौंपा गया है एक बड़ा सा कमरा, मानों वो खाली मचान है,
त्यौहारों की चमक पर धुंधला मन भारी ,अंधेरों के दर्द में परेशान है;
हां! ये उसी बुज़ुर्ग का मकान है।।

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