"कर बेहतर"
जाने है फ़र्क क्या है ग़लत क्या है सही ? फ़िर भी करे है बन्दा ग़लत बार - बार वहीं,
सोचे क्या करें, क्या छोड़े हैं अजनबी,
बेहतर की तालाश छोड़ जो है उसे ही बेहतर बना अभी।
चाहें तो हैं बनना बेहतर की बड़ी मस्सकत लगे हैं,
ना हुआ बेहतर ; आख़िर हुई क्या ख़ता कमी
ना मान हार रख आस, हो जाए बेहतर
है कि ज़िंदा बेहतर - ए - एहसास अभी।।
Kar behtar,superb
ReplyDeleteथैंक्यू
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